
पुणे
लड़की की लाश लेकर दो दिन बैठा रहा सूरजपाल बाबा:24 साल पहले मुर्दे को जिंदा करने के केस में पहली बार गया जेल
आगरा
24 साल पुरानी बात है। जगह थी आगरा का केदार नगर। यहां के श्मशान घाट में सफेद चादर से लिपटी एक लड़की की लाश रखी थी। चादर पर लाल कपड़ा रखा था। आसपास लोग हाथ जोड़कर खड़े थे। लड़की को कैंसर था और उसकी मौत दो दिन पहले हो चुकी थी। एक बाबा ने दावा किया कि वो लड़की को जिंदा कर देगा। सैकड़ों लोगों की भीड़ ये चमत्कार देखने आई थी।
लड़की तो जिंदा नहीं हुई, उलटा बाबा को पुलिस ने पकड़ लिया। केस दर्ज हुआ और उसे जेल जाना पड़ा। वह बाबा यही सूरजपाल है, जिसके चरणों की धूल लेने के लिए 2 जुलाई को हाथरस में भगदड़ मची और 123 लोग मारे गए।
सूरजपाल बाबा के पहली बार जेल जाने की कहानी क्या है, ये जानने दैनिक भास्कर केदार नगर पहुंचा। कैंट रेलवे स्टेशन से करीब 5 किमी दूर इस मोहल्ले में एक दोमंजिला घर है। घर के गेट पर ताला लगा है।
तभी एक महिला आती है। घर की सीढ़ियों से कुछ दूर चप्पलें उतारती है, आगे बढ़कर सीढ़ियों पर माथा टेकती है, हाथ जोड़कर प्रणाम करती है और चली जाती है। ये घर सूरजपाल बाबा का है। पहली बार उसने यहीं प्रवचन देना शुरू किया था। घर को आसपास के लोग भोले बाबा की कुटिया कहते हैं।
केदार नगर में बनी भोले बाबा की कुटिया के सामने महिलाएं माथा टेकने आती हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
केदार नगर में बनी भोले बाबा की कुटिया के सामने महिलाएं माथा टेकने आती हैं। उनका मानना है कि इससे उनकी परेशानियां दूर हो जाएंगी।
भोले बाबा की कुटिया मंदिर नहीं, शानदार दोमंजिला मकान
केदारनगर में आप किसी से भी पूछें कि भोले बाबा की कुटिया कहां है, वो तुरंत बता देगा। हम इस कुटिया के बारे में पूछते हुए D-55 मकान के सामने पहुंचे। दो मंजिला इस मकान के बाहरी हिस्से में चमचमाता सफेद और मिक्स टाइल्स वाला फर्श है। 5 सीढ़ियां चढ़कर सामने लोहे का बड़ा गेट।
हमने आसपास के लोगों से पूछा कि भोले बाबा की कुटिया कहां है, जवाब मिला यही तो है। हम सोच रहे थे कि भोले बाबा की कुटिया किसी मंदिर की तरह दिखती होगी, लेकिन ये तो सामान्य घर है।
अब हमने ऐसे लोगों को तलाशना शुरू किया, जो 24 साल पहले बाबा के मर चुकी लड़की को जिंदा करने के दावे के गवाह रहे हों।
पहले जान लीजिए 18 मार्च, 2000 को हुआ क्या था
केदारनगर से थोड़ी दूर बने श्मशान घाट पर मल्ल का चबूतरा है। 24 साल पहले इसी चबूतरे पर 17 साल की एक लड़की की लाश रखी थी। सूरजपाल बाबा ने दावा किया था कि वो इस लड़की को जिंदा कर देगा। ये बात आसपास के इलाके में फैल गई थी।
लोग इसी उम्मीद में श्मशान घाट पहुंच गए कि सूरजपाल बाबा कोई चमत्कार दिखाएंगे। मरी हुई लड़की जिंदा हो जाएगी। सूरजपाल बाबा के सेवादारों ने कहा था कि सुबह 11 बजे लड़की जिंदा हो जाएगी। टाइम निकल गया, लेकिन लड़की जिंदा नहीं हुई।
केदार नगर के श्मशान घाट में इसी जगह सूरजपाल बाबा ने लड़की को जिंदा करने का दावा किया था। हालांकि इस चक्कर में उस पर केस दर्ज हो गया।
केदार नगर के श्मशान घाट में इसी जगह सूरजपाल बाबा ने लड़की को जिंदा करने का दावा किया था। हालांकि इस चक्कर में उस पर केस दर्ज हो गया।
इस बीच श्मशान घाट पर डेडबॉडी का अंतिम संस्कार करने के लिए आ रहे लोग भी जुटने लगे। उन्होंने इस उम्मीद में अंतिम संस्कार नहीं किया कि अगर लड़की जिंदा हो गई, तो वे जिसे अंतिम संस्कार के लिए लाए हैं, बाबा उसे भी जिंदा कर देंगे। कुछ देर में लोगों को समझ आ गया कि कोई चमत्कार नहीं होने वाला। वे हंगामा करने लगे।
लोगों ने तब पार्षद रहीं हेमा परिहार को खबर दी। हेमा मौके पर पहुंचीं। देखा कि भीड़ बेकाबू हो रही है। उन्होंने तुरंत पुलिस बुला ली। शाहगंज थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। सूरजपाल बाबा और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। श्मशान घाट में मौजूद महिलाएं बाबा की गिरफ्तारी से भड़क गईं। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। इसके बावजूद पुलिस बाबा को थाने ले गई।
शाहगंज थाने में 18 मार्च को बाबा के खिलाफ FIR दर्ज की गई। ये FIR हेमा परिहार ने ही लिखवाई। इसमें सूरजपाल के अलावा कुंवरपाल, मेवाराम, प्रेमवती, कमलेश सिंह, मीना और सांवरे का नाम था । पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में लिखा कि आरोपियों ने मरी लड़की स्नेहलता को चमत्कारी शक्ति से जिंदा करने का षड्यंत्र किया।
पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है कि सूरजपाल बाबा ने मुर्दा लड़की को जिंदा करने का षड्यंत्र रचा।
पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है कि सूरजपाल बाबा ने मुर्दा लड़की को जिंदा करने का षड्यंत्र रचा।
इस मामले में पुलिस ने The Drugs And Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act-1954 की धारा 2 (C) में केस दर्ज किया था। शाहगंज पुलिस के मुताबिक, मामले में चार्जशीट दाखिल हुई थी, लेकिन बाद में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई। केस बंद हो गया और बाबा को कोई सजा नहीं हुई।
लड़की को सूरजपाल बाबा ने गोद लिया था, कैंसर से मौत हुई
बाबा का बैकग्राउंड जानने के लिए दैनिक भास्कर ने सूरजपाल बाबा की कुटिया के पास में रहने वाले पंकज से बात की। पंकज कहते हैं, ‘ये कॉलोनी 1984 से बसनी शुरू हुई थी। सूरजपाल बाबा तभी यहां रहने आ गए थे। उन्होंने प्रवचन देने की शुरुआत इसी जगह से की थी। उस समय वे सिपाही थे। फिर हेड कॉन्स्टेबल बने।’
‘सूरजपाल बाबा की कोई औलाद नहीं थी। पहले वे निरंकारी समागम में प्रवचन सुनने जाते थे। फिर घर पर खुद ही सत्संग करने लगे। शुरुआत में दो-चार लोग ही आए। फिर धीरे-धीरे भीड़ बढ़ने लगी। इसके बाद बाबा ने निरंकारी समागम में जाना छोड़ दिया।’
‘लोग कहते हैं कि हमने बाबा के कई रूप देखें हैं। किसी ने उन्हें विष्णु भगवान के रूप में देखा है। कोई हाथ में चक्र लिए कृष्ण भगवान के रूप में देखने की बात कहता है। पहले यहां रविवार को भीड़ होती थी। अब मंगलवार को बहुत लोग आते हैं। इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं होतीं हैं।’
मार्च, 2000 में हुई घटना के बारे में पंकज बताते हैं, ‘उस लड़की का नाम स्नेहलता था। वो सूरजपाल बाबा के साले मेवाराम की बेटी थी। बाबा ने उसे गोद लिया था। स्नेहलता को कैंसर था। 16 मार्च को वो बेहोश हो गई। उसे बेहोशी की हालत में बाबा के पास लाया गया।’
‘तब तक ये पता नहीं था कि स्नेहलता का इलाज कराया गया है या नहीं। रात में बाबा ने उसका इलाज किया। सुबह बताया कि लड़की को होश आ गया था। फिर उल्टी हुई और उसकी मौत हो गई।’
‘बाबा के सेवादार कहने लगे कि स्नेहलता की मौत हो गई थी। बाबाजी ने उसे मरने के बाद जिंदा किया था। अब वे फिर से उसे जिंदा करेंगे। ये बात सुनकर लोग जुटने लगे। बाबा के शिष्य स्नेहलता की डेडबॉडी श्मशान घाट ले गए। वहां पूजा-पाठ करने लगे। सब लोग हाथ जोड़कर कहने लगे कि बाबाजी आएंगे, लड़की को जिंदा करेंगे। श्मशान घाट में काफी भीड़ जुट गई।’
तभी पुलिस भी आ गई। लाठीचार्ज हुआ। पुलिस यहां कुटिया तक भी आई थी। बाबाजी की यहीं से गिरफ्तार किया था। उसके बाद से अब तक बाबाजी सिर्फ एक बार यहां आए हैं।
स्नेहलता को जिंदा करने के दावे की खबरें उस वक्त अखबारों में छपी थीं। ये 18 मार्च का अखबार है, जब सूरजपाल को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था।
स्नेहलता को जिंदा करने के दावे की खबरें उस वक्त अखबारों में छपी थीं। ये 18 मार्च का अखबार है, जब सूरजपाल को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था।
हर मंगलवार बंद घर के आगे माथा टेकने आते हैं लोग
पंकज कहते हैं कि वैसे तो हर रोज भक्त आते हैं, मत्था टेकते हैं, लेकिन हर मंगलवार को यहां सैकड़ों की भीड़ होती है। पूरा रास्ता भर जाता है। सुबह 4 बजे सबसे पहले सेवादार आकर साफ-सफाई कर देते हैं। इसके बाद दूर-दूर से भक्त आने लगते हैं।’
क्या कोई चमत्कार जैसा कुछ देखा है? पंकज जवाब देते हैं, ‘हम तो यहां शुरू से रह रहे हैं। आज तक न बाबा का चमत्कार देखा है और न सुना है। कुटिया तो खुलती ही नहीं है। यहां कोई मंदिर या पुजारी नहीं है, लेकिन अगर कोई नई गाड़ी लेता है, तो यहां मिठाई लेकर आता है। आसपास के लोगों को मिठाई खिलाकर चला जाता है।’
केस कराने वालीं हेमा बोलीं- बाबा ने बुलाया था, मैं नहीं गई
हेमा परिहार 1995 से 2005 तक केदारनगर की पार्षद रही हैं। उनका घर सूरजपाल की कुटिया से करीब 400 मीटर दूर है। उस वक्त वे सूरजपाल को नहीं जानती थीं। पुरानी बातें याद करते हुए वे बताती हैं, ‘ये कांड हुआ, तब कुछ लोग मेरे पास आए थे। बोले कि एक लड़की मर गई है, लेकिन कोई बाबा उसे जिंदा कर रहा है।’
‘मैं तुरंत मौके पर गई। वहां जाकर कुछ और ही पता चला। असल में लड़की की मौत 2 दिन पहले हो गई थी। बाबा उस पर वशीकरण कर रहा था। मुझे लगता है कि वो कोई सिद्धि हासिल करना चाह रहा था। हमने उसका विरोध किया। हमने हत्या का आरोप लगाया और बाबा को पकड़वा दिया।’
‘बीच में बाबा से जुड़े लोग मेरे पास आए। उन्होंने कहा कि बाबाजी आपसे मिलना चाहते हैं। आप उनके पास चलिए। मैंने मना कर दिया।’
‘अगर बाबा मरे लोगों को जिंदा करते हैं, तो 123 लोगों को जिंदा कर दें’
हाथरस में हुए हादसे पर हेमा परिहार कहती हैं, ‘अगर वाकई बाबा चमत्कारी हैं और मरे लोगों को जिंदा कर सकते हैं, तो उनके सत्संग में मरने वाले 123 लोगों को क्यों नहीं जिंदा कर देते। ऐसा नहीं हो सकता है। इसलिए ऐसे बाबाओं से लोगों को दूर रहना चाहिए।’
सूरजपाल की अनुयायी बोलीं- हाथरस में लोग अपने कर्म से मरे
केदारनगर में ही हमें सूरजपाल बाबा की अनुयायी रामवती मिलीं। वे कहती हैं, ‘बाबा को मैं 30-40 साल से जानती हूं। सत्संग में लोग जाते हैं, लेकिन मैं रेगुलर नहीं जा पाती। एक या दो बार ही गई हूं।’
बाबाजी से क्या फायदा हुआ? रामवती जवाब देती हैं, ‘बाबा पैसे तो देते नहीं हैं। उनके चरणों में आए हैं, तो फायदा तो होता ही है। बाबा ने बड़ी-बड़ी बीमारी दूर की हैं। लोग तो कहते हैं, जो बीमारी डॉक्टर सही नहीं कर पाए, उसे बाबा ने ठीक कर दिया। लोग शरीर पर बाबाजी का दिया पानी लगाते हैं। उससे बहुत फायदा मिलता है।’
हाथरस की घटना को रामवती साजिश बताती हैं। कहतीं हैं, ‘हमने वहां गईं महिलाओं से बात की है। वे कह रही हैं कि हाथरस वाली घटना के पीछे साजिश है। वहां कुछ ऐसी महिलाएं भी आईं थीं, जो बाबाजी से जलतीं थीं। उन्होंने ही धक्का मारा होगा। वे बाबाजी से चिढ़ती हैं। बाबा को बदनाम करना चाहतीं हैं। बाबा ने कोई गलती नहीं की। ये तो होना था, इसलिए हो गया।’